ारतीय इतिहास का खूनी दिन ( कविता-)01-May-2024
भारतीय इतिहास का खू़नी दिन 13 अप्रैल 1919
नम आंँखों से याद करें, 13 अप्रैल का मनहूस दिन। लाशें आज थीं इतनी बिछीं, जिनको ना हम सके थे गिन।
पंजाब खुशी से झूम रहा था, बैसाखी वह दिन था। क्षण में ऐसा मंजर आया , वह दिन पहले से भिन्न था।
पंजाब का वह अति पावन दिन था, जो दानव बन आया था। हजारों मासूमों को जिसने, बस कुछ क्षण में खाया था।
जनरल डायर अक्रांता बनकर, बाग में ज्यूॅं ही आया। गोली चली दना-दन क्रांतिवीरों पर , पूरा बाग घर्राया।
ख़ून की इस होली को देखकर, कईयों के खून खौल गए। डायर को धूल चटाना होगा, वे खुद से ही बोल गए।
अमृतसर गमगीन हुआ था, पूरा भारत दीन हुआ था। जनरल डायर 90 सैनिक संग, लालों का शव छिन्न-भिन्न हुआ था।
कितनी राखी अब ना बॅंधेगी, कितनी माॅंगें सुनी हुईं। कितनों की कोखें थीं उजड़ीं, सोच के आंँखे खून हुईं।
रविंद्र नाथ ने नाइटहुड त्यागा , शंकर राम वायसराय पद त्याग दिए। अहिंसा को त्यागे सत्याग्रही, हिंसा की थे दीक्षा लिए।
उधम सिंह भारी उधम मचाए, अवसर थे निरंतर ख़ोज रहे। नाम बदल मोहम्मद सिंह रखकर, ब्रिटेन देश वो पहुॅंच गए।
माइकल डायल ढेर हुआ फिर, ठंडक मिली कलेजे को। जान गॅंवानी पड़ गई उनको, फ़िक्र न थी उस मनमौजे को।
फाॅंसी की उनको सज़ा मिली, पर आंँखों में ना ख़ौफ़ तनिक। देने वाला भी सोचा होगा, किस मिट्टी का बना सैनिक।
साधना शाही,वाराणसी